Friday 8 July, 2011

इल्म हमेशा बाक़ी रहेगा

इसमें कोई शक नहीं के ज्ञान से बढ़कर कोई नेमत नहीं, जितने भी पैगम्बर आए सब के पास यह नेमत थी. हज़रत आदम से लेकर हज़रत मोहम्मद तक सब इस नेमत के मालिक थे. 
कुरआन करीम आवाज़ देता है की "कहो, रब्बे ज़िदनी इल्मन," ऐ मेरे पालने वाले! मेरे इल्म (ज्ञान) में बढ़ोतरी कर.
हज़रत अली (अ.स.) का शेर है:
हम अल्लाह की तकसीम पर राज़ी हैं की हम को इल्म और दुश्मनों को माल मिला
क्यूँकी माल बहुत जल्द फ़ना हो जाएगा और इल्म हमेशा बाक़ी रहेगा.

अल्लामा जैनुद्दीन आमोली (शहीदे सानी) अपनी किताब "मुन्यतुल मुरीद" कुरआन से इल्म की फ़ज़ीलत साबित करके लिखते हैं, "अल्लाह ने ज्ञानी (ओलमा) को सब लोगों पर फओकियत (प्राथमिकता) दी है. "क्या बराबर हैं वोह लोग जो इल्म रखते हैं साथ उन लोगों के जो इल्म नहीं रखते"

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