रूह की तरबियत और फलाह के लिए ऐसे ओलूम हासिल करने की ज़रुरत है जिन की बदौलत इंसान अपनी हकीकी ज़िन्दगी तक रसाई हासिल कर सके जिसका वोह अहेल करार दिया गया है. और वोह सिर्फ ओलूमे शरीयाह हैं, जिन की असलो असास कुरआने मजीद है.
इन्हीं ओलूम की बदौलत इंसान अपने खालिक से कुर्बत हासिल करके हयाते जावेदानी और ऐशे सरमदी के बुलन्द्तरीन मकसद पर फाएज़ हो सकता है.
औजे शराफत के आखरी कुंगरे तक रसाई हासिल करके و لقد كرمنا بني آدم का हकीकी मिसदाक़ बन सकता है.
लिहाज़ा वह ओलूम जो न सिर्फ माद्दा परस्ती की तरफ दावत देते हैं बलके रूहे इंसानियत के लिए पैगामे मौत भी हैं.
वह ओलूम जो न सिर्फ शिकम्पुरी का ज़रिया हैं बल्कि ज़ुल्मो तशद्दुद का आलाकार भी हैं.
वह ओलूम जो सिर्फ ज़ाहेरी वजाहत और इकतेदार का सबब हैं.
और वह ओलूम जो खुद्सताई और खुद नुमाई के लिए हासिल किए जाते हैं.
सिर्फ जसदे अन्सुरी के लिए चंद रोज़ा बहार तो ज़रूर हैं लेकिन उनका अंजाम इंसानियत की तबाही और बर्बादी के सिवा और कुछ नहीं.
इस किस्म की ज़िन्दगी हैवानी ज़िन्दगी या उससे भी बदतर और मौत हैवानी मौत या उससे भी पस्त तर.
Monday 11 July, 2011
हैवानी ज़िन्दगी
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Friday 8 July, 2011
इल्म हमेशा बाक़ी रहेगा
इसमें कोई शक नहीं के ज्ञान से बढ़कर कोई नेमत नहीं, जितने भी पैगम्बर आए सब के पास यह नेमत थी. हज़रत आदम से लेकर हज़रत मोहम्मद तक सब इस नेमत के मालिक थे.
कुरआन करीम आवाज़ देता है की "कहो, रब्बे ज़िदनी इल्मन," ऐ मेरे पालने वाले! मेरे इल्म (ज्ञान) में बढ़ोतरी कर.
हज़रत अली (अ.स.) का शेर है:
हम अल्लाह की तकसीम पर राज़ी हैं की हम को इल्म और दुश्मनों को माल मिला
क्यूँकी माल बहुत जल्द फ़ना हो जाएगा और इल्म हमेशा बाक़ी रहेगा.
अल्लामा जैनुद्दीन आमोली (शहीदे सानी) अपनी किताब "मुन्यतुल मुरीद" कुरआन से इल्म की फ़ज़ीलत साबित करके लिखते हैं, "अल्लाह ने ज्ञानी (ओलमा) को सब लोगों पर फओकियत (प्राथमिकता) दी है. "क्या बराबर हैं वोह लोग जो इल्म रखते हैं साथ उन लोगों के जो इल्म नहीं रखते"
कुरआन करीम आवाज़ देता है की "कहो, रब्बे ज़िदनी इल्मन," ऐ मेरे पालने वाले! मेरे इल्म (ज्ञान) में बढ़ोतरी कर.
हज़रत अली (अ.स.) का शेर है:
हम अल्लाह की तकसीम पर राज़ी हैं की हम को इल्म और दुश्मनों को माल मिला
क्यूँकी माल बहुत जल्द फ़ना हो जाएगा और इल्म हमेशा बाक़ी रहेगा.
अल्लामा जैनुद्दीन आमोली (शहीदे सानी) अपनी किताब "मुन्यतुल मुरीद" कुरआन से इल्म की फ़ज़ीलत साबित करके लिखते हैं, "अल्लाह ने ज्ञानी (ओलमा) को सब लोगों पर फओकियत (प्राथमिकता) दी है. "क्या बराबर हैं वोह लोग जो इल्म रखते हैं साथ उन लोगों के जो इल्म नहीं रखते"
कुरआन बोलता है
कुरआन अल्लाह की किताब है. यह किताब जिस के बारे में कोई शक नहीं किया जा सकता है पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद पर नाज़िल हुई थी.
हम इस ब्लॉग में कुरआन की आयात के बारे में छोटी छोटी बातें करेंगे ताकि वोह लोग भी समझ सकें जिन्हों ने कुरआन को न तो पढ़ा है और न कभी उस के बारे में सुना है.
हम अपनी कोई राए पेश नहीं करेंगे. कुरआन खुद बोलेगा.....
क्यूंकि, कुरआन बोलता है..........
हम इस ब्लॉग में कुरआन की आयात के बारे में छोटी छोटी बातें करेंगे ताकि वोह लोग भी समझ सकें जिन्हों ने कुरआन को न तो पढ़ा है और न कभी उस के बारे में सुना है.
हम अपनी कोई राए पेश नहीं करेंगे. कुरआन खुद बोलेगा.....
क्यूंकि, कुरआन बोलता है..........
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